बारे में (About)

‘प्रबोध फाउंडेशन’ एक प्रयास है सामाजिक कुरीतियों, अंधविश्वासों व घातक अवैज्ञानिक मान्यताओं के भयंकर दुष्प्रभावों के प्रति लोगों को जागरुक करने का, जो व्यक्ति और समाज को हर दृष्टि से दुर्बल व पंगु बना रहीं हैं। जनजाग्रति, आध्यात्मिक चेतना का उत्थान, वैज्ञानिक सोच का विस्तार इत्यादि के माध्यम से ही इनसे मुक्ति पाई जा सकती हैं। समस्त प्रजातियों व प्रकृति के प्रति करुणाशील, वैज्ञानिक तथा आध्यात्मिक दृष्टि से जाग्रत और सभी क्षुद्रताओं से मुक्त समाज आज के समय की अनिवार्यता है, ताकि मनुष्य समेत समस्त जीव-जंतु धरती पर सामंजस्य और शांति के साथ अस्तित्ववान रह सकें। साहित्य के प्रचार-प्रसार, डिजिटल उपायों के उपयोग द्वारा, जमीनी स्तर पर लोगों के बीच संवाद जैसे अनेक माध्यमों से फाउंडेशन लगातार प्रयासरत है वर्तमान तस्वीर को बदलने के लिए, सुधारने के लिए, बेहतर बनाने के लिए।

समाज अपनेआप में एक-एक व्यक्ति से मिलकर बने समूह से अलग कुछ नहीं होता, इसीलिए जैसे-जैसे व्यक्ति की चेतना का स्तर उठेगा, समाज भी उसी हिसाब से उठेगा, बेहतर होगा। यद्यपि आज भी समाज तमाम तरह के आर्थिक संकटों से जूझ रहा है, परंतु बहुत सारी समस्याएँ ऐसी हैं जिनकी प्रमुख वजह मनुष्य का जागरुक न होना है। सामाजिक कुरीतियाँ, भेदभाव, कुप्रथाएँ, गंदगी का फैलाया जाना, आपसी कलह, सामाजिक अपराध, अन्य जीवों के प्रति हिंसा इत्यादि वही समस्याएँ हैं, और जिनका वास्तविक समाधान लोगों के बीच चेतना का, जागरुकता का संचार करना है।

प्रतीक चिह्म के तत्व

  1. सतत् आत्म-अवलोकन (आत्मज्ञान) ही है अध्यात्म
  2. वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विकास
  3. लिंग आधारित भेदभाव सहित समस्त सामाजिक कुरीतियों के दुष्प्रभावों के प्रति जागरुकता
  4. समय ही जीवन है इसकी बर्बादी के प्रति सतर्कता
  5. समस्त जीवों के प्रति करुणा
  6. प्रकृति के शोषण का निषेध
  7. कदम-दर-कदम सुधार

विज़न व मिशन (Vision and Mission)

Vision

विज़न
वैज्ञानिक और आध्यात्मिक रूप से जाग्रत, प्रकृति व समस्त जीवों के प्रति करुणावान तथा समस्त अंधविश्वासों, कुरीतियों व भेदभावों से मुक्त एवं मनुष्य जीवन की उच्चतम संभावनाओं को साकार करने के लिए प्रयत्नशील समाज

A row of vibrant colored pencils aligned on a white background, providing ample copyspace.

मिशन
हमारा उद्देश्य है एक-एक करके सामाजिक जनचेतना के स्तर को उठाना — शैक्षणिक गतिविधियों के द्वारा, तथ्यों व सूचनाओं से अवगत कराकर, सृजनात्मक चर्चाओं के द्वारा और जन-भागीदारी वाले आयोजनों के द्वारा

प्रेरणास्रोत

आचार्य प्रशांत

जब धर्म के नाम पर अंधविश्वास, टोना-टोटका बढ़ता ही जा रहा हो – कोई भूत-प्रेतों की पतंगें उड़ा रहा है तो कोई अकड़म-बकड़म बोलकर बीमारियाँ दूर करने का ढोंग कर रहा है; कोई हाथ की रेखा देखकर भविष्य बता रहा है तो कोई घर के दरवाजे की दिशा बदलकर भविष्य बना देने की गारंटी दे रहा है; इन सबके बावजूद आचार्य प्रशांत पवित्र वेदों के सार अर्थात् उपनिषदों में वर्णित धर्म के उस शुद्धतम रूप (वेदांत) को जन-जन तक पहुँचाने के लिए भागीरथी प्रयास कर रहे हैं जो तर्क की कसौटी पर खरा और समस्त अंधविश्वासों से मुक्त है।

आचार्य प्रशांत आज विश्व में आध्यात्मिक-सामाजिक जागरण की सशक्त आवाज हैं। वेदांत की प्रखर मशाल, अंधविश्वास व आंतरिक दुर्बलताओं के विरुद्ध मुखर योद्ध, पशुप्रेमी व शुद्ध शाकाहार के प्रचारक, पर्यावरण संरक्षक, युवाओं के पथप्रदर्शक मित्र – किसी भी तरह से उन्हें पुकारा जा सकता है।
अधिक जानकारी के लिए: https://acharyaprashant.org/

स्वामी विवेकानंद

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