बंकू: संगम दो जहानों का #पुस्तकसमीक्षा

पुस्तक समीक्षा पुस्तक: बंकू लेखक: अमित तिवारी --------------------------------------सबसे पहले तो मैं बंकू महाराज से क्षमा माँगूँगा कि उनके आने के बाद भी मिलने में काफ़ी इंतजार करवाया, और फिर यात्रा पूरी करने के बाद भी इस समीक्षा को लिखने में दो दिन लगा दिए। बहरहाल, बंकू - एक कहानी जो सामान्य होकर भी सामान्य नहीं है, क्योंकि ऐसी सामान्य कहानियाँ हमारे आसपास घटित होने हुए भी हम उनसे पूर्णत: अनभिज्ञ, अस्पर्शित रहते हैं। तो सामान्य सी इस असामान्य कहानी में क्या है खास, ये तो आपको बंकू ही बता सकता है। इसीलिए बिना देरी किए, जाइए और चलिए उसकी फुदकन…

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‘नया’, ‘साल’, ‘शुभता’

कहते हैं कि परिवर्तन संसार का नियम है; इसको सुनकर ऐसा लग सकता है मानो कि ये संसार कुछ है जिसमें परिवर्तन होता है, परंतु एक गहरी दृष्टि से देखो तो पता चलेगा कि बात ये कही जा रही है - जहाँ परिवर्तन होते रहते हैं उसी का नाम संसार है; परिवर्तनों से अलग संसार कोई स्थायी इकाई नहीं है।तो हमारे देखे परिवर्तन तो लगातार हो रहे हैं, पर क्या सब परिवर्तनों की प्रकृति एक जैसी है? उदाहरण के लिए, कमरे में फर्श पर पड़ी झाड़ू को उठाकर कोने में खड़ा कर दिया जाए तो झाड़ू की स्थिति में परिवर्तन…

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